Saturday, January 09, 2010

अब मुझे कोई इंतज़ार कहाँ..

आँख के एक गाँव में / रात को ख्वाब आते थे,
छूने से बहते थे, / बोले तो कहते थे,
उड़ते ख्वाबों का एतबार कहाँ...




These pics of mine had to wait for this song to get woven together...

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